Dehradun: बुजुर्गों में समय रहते इलाज से स्वास्थ्य खर्च होता है कम; ‘ओल्ड इज गोल्ड' निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर का किया गया आयोजन

देहरादून! इंडियन ऑर्थोपीडिक एसोसिएशन बोन एंड जॉइंट वीक 2025 का आयोजन संजय ऑर्थोपीडिक, स्पाइन एंड मैटरनिटी सेंटर, दून विहार, जाखन, राजपुर रोड, देहरादून में किया गया। इस वर्ष की अध्यक्षीय थीम ‘ओल्ड इज गोल्डः 360° देखभाल बुजुर्गों के लिए‘ है जिसका उद्देश्य बुजुर्गों को गरिमा, गतिशीलता और दीर्घायु प्रदान करना है। विकसित देशों की तरह भारत भी बुजुर्ग जनसंख्या से जुड़ी स्वास्थ्य और सामाजिक समस्याओं का सामना कर रहा है। इस एक सप्ताह के कार्यक्रम में निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर, बीएमडी परीक्षण, सर्जरी, तथा बुजुर्गों से संबंधित चिकित्सा समस्याओं के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक एवं प्रिंट मीडिया में इंटरव्यू शामिल थे। उम्र बढ़ने के साथ उम्र से जुड़ी बीमारियों का खतरा भी बढ़ता है। इस प्रक्रिया में हड्डियों की घनता में कमी, मांसपेशियों का कमजोर होना, और विशेषकर भार वहन करने वाले जोड़ों में घिसावट जैसी समस्याएं आती हैं। इससे दर्द, अकड़न और गतिशीलता में कमी होती है, जिससे दैनिक कार्यों में बाधा आती है।


Dehradun: In the elderly, timely treatment costs health cost; 'Old is Gold' free health camp organized



बुजुर्गों में समय रहते इलाज से स्वास्थ्य खर्च होता है कमः पद्म श्री डॉ. बी. के. एस. संजय

पद्म श्री डॉ. बी. के. एस. संजय ने बताया कि बुजुर्गों में आमतौर पर ऑर्थोपीडिक समस्याएं जैसे डिजेनेरेटिव अर्थराइटिस (ऑस्टियोआर्थराइटिस), स्पाइन की डिजेनेरेटिव बीमारियां, ऑस्टियोपोरोसिस और ऑस्टियोपोरोसिस जनित फ्रैक्चर देखी जाती हैं। ऑस्टियोआर्थराइटिस आमतौर पर दर्द, अकड़न और गति की कमी के साथ सामने आता है, जो मुख्य रूप से घुटनों और कूल्हों जैसे भार वहन करने वाले जोड़ों को प्रभावित करता है। ऑस्टियोपोरोसिस में हड्डियों की घनता कम हो जाती है, जिससे वे कमजोर और आसानी से टूटने योग्य हो जाती हैं। इससे संबंधित सबसे सामान्य फ्रैक्चर कलाई, रीढ़ और कूल्हे में होते हैं। अन्य रीढ़ की समस्याओं में डिजेनेरेटिव स्पाइन डिजीज जैसे पुराने स्लिप डिस्क और फेसट जॉइंट अर्थराइटिस शामिल हैं, जिससे स्पाइनल स्टेनोसिस (रीढ़ की नली का संकरापन) हो सकता है। स्पाइनल स्टेनोसिस से न्यूरोलॉजिकल क्लॉडिकेशन हो सकता है, जिससे चलते समय दर्द, टांगों में थकान, और कभी-कभी लकवा, ब्लैडर या बॉवेल फंक्शन में गड़बड़ी हो सकती है। इन समस्याओं में कभी-कभी ऑपरेशन की जरूरत पड़ती हैं, जो प्रायः जोखिमपूर्ण होती हैं।

इंडिया और इंटरनेशनल बुक रिकॉर्ड्स धारक डॉ. गौरव संजय ने बताया कि नियमित जांच और स्वास्थ्य परीक्षण से इन बीमारियों की समय रहते पहचान और इलाज संभव है। उपयोगी परीक्षणों में एक्स-रे, बीएमडी, सीटी स्कैन और एमआरआई शामिल हैं। ये परीक्षण बीमारी की प्रारंभिक अवस्था में पहचान कर समय पर इलाज शुरू करने में सहायक होते हैं जिससे समय पर सुधारात्मक कदम उठाए जा सकते हैं। यदि बुजुर्गों को समय पर और समुचित चिकित्सीय देखभाल मिले, साथ ही परिवार और सामाजिक समर्थन भी प्राप्त हो, तो वे अधिक लंबा, स्वस्थ, खुशहाल, गतिशील और गरिमामय जीवन जी सकते हैं। समय रहते हस्तक्षेप से इलाज के परिणाम बेहतर होते हैं, जटिलताओं में कमी आती है, और स्वास्थ्य खर्च भी कम होता है।

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