देहरादून:-उत्तराखंड सदियों से अपने पवित्र चार धामों के लिए प्रसिद्ध रहा है, जहाँ हर वर्ष लाखों श्रद्धालु आस्था से प्रेरित होकर पहुँचते हैं। आज यह प्रदेश अपनी पहचान का विस्तार करते हुए केवल आध्यात्मिक भूमि ही नहीं, बल्कि साहित्य, संस्कृति और सृजन का सजीव केंद्र बनता जा रहा है।
देहरादून के जॉलीग्रांट एयरपोर्ट के समीप, हिमालय की शांत गोद में स्थित लेखक गाँव — देश का पहला ऐसा गाँव है जो पूरी तरह लेखकों को समर्पित है। डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ की दूरदर्शी सोच और उनके परिवार के सहयोग से साकार यह स्वप्न आज कला, बुद्धि और प्रकृति के त्रिवेणी संगम का प्रतीक बन चुका है।
लेखक गाँव का शुभारंभ 24 अक्टूबर 2024 को भारत के पूर्व राष्ट्रपति माननीय रामनाथ कोविंद के कर-कमलों से हुआ, जिसमें उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी तथा पूर्व मुख्यमंत्री एवं केंद्रीय मंत्री डॉ. निशंक की गरिमामयी उपस्थिति रही। केवल एक वर्ष में इस पहल ने राष्ट्रीय साहित्यिक परिदृश्य में अपनी विशिष्ट पहचान बना ली है।
यहाँ आयोजित अंतरराष्ट्रीय साहित्य महोत्सव ने लेखक गाँव को वैश्विक प्रतिष्ठा दिलाई। इस महोत्सव का उद्घाटन केंद्रीय मंत्री श्री किरेन रिजिजू ने किया तथा समापन मुख्यमंत्री श्री धामी द्वारा हुआ। देश-विदेश के प्रतिष्ठित लेखक, कवि और कलाकारों ने इसमें भाग लेकर इसे संवाद और सृजन का जीवंत मंच बना दिया।
साहित्य, संस्कृति और सृजन का केंद्र – लेखक गाँव: पद्मश्री डॉ. संजय
अपनी स्थापत्य सुंदरता के साथ लेखक गाँव एक गहन विचार का प्रतीक है—जहाँ शब्द, प्रकृति और संवेदना एकाकार होते हैं। यह पर्यावरण संरक्षण, लोकसंस्कृति के संवर्धन और युवा रचनाकारों के प्रोत्साहन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
मैं स्वयं लेखक गाँव की परिकल्पना से जुड़ा रहा हूँ और इसके विकास की यात्रा का साक्षी हूँ। डॉ. निशंक के नेतृत्व और उनके परिवार के समर्पण से लेखक गाँव आज भारत की साहित्यिक चेतना का दीपस्तंभ बन चुका है—जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत रहेगा।
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