आर एस ए प्रमुख डॉ प्रद्युम्न कुमार सिन्हा सांस्कृतिक मंत्रालय भारत सरकार द्वारा आयोजित अटल बिहारी जन्म शताब्दी महोत्सव मे अटल सम्मान 2025 से हुए सम्मानित
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आर एस ए प्रमुख डॉ प्रद्युम्न कुमार सिन्हा |
"राजनीति के धूमकेतु: अटल जी" पुस्तक भेंट कर राष्ट्र निर्माण में योगदान के लिए दी गई विचारमूलक स्वीकृति
भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के तत्वावधान में 14 जून 2025 को अम्बेडकर इंटरनेशनल रिसर्च सेंटर, नई दिल्ली में भारत रत्न, पूर्व प्रधानमंत्री श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी की जन्म शताब्दी महोत्सव का भव्य आयोजन किया गया।
इस गरिमामयी अवसर पर राष्ट्र सृजन अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. प्रद्युम्न कुमार सिन्हा को उनके राष्ट्र निर्माण, सामाजिक जागरूकता, शिक्षा, संगठन निर्माण एवं सांस्कृतिक पुनर्जागरण में उल्लेखनीय योगदान के लिए "अटल विशेष सम्मान 2025" से सम्मानित किया गया।
सम्मान के रूप में आयोजकों द्वारा डॉ. सिन्हा को "राजनीति के धूमकेतु: अटल जी" नामक विशेष पुस्तक भेंट की गई, जो अटल जी के विराट व्यक्तित्व, नीतिपूर्ण नेतृत्व और राष्ट्रीय दृष्टिकोण पर केंद्रित है।
डॉ. पी.के सिन्हा जी ने अपने उद्बोधन में कहा “अटल जी केवल एक राजनेता नहीं थे, वे भारत की आत्मा की आवाज़ थे। उनका जीवनदर्शन मेरे जैसे राष्ट्रसेवकों के लिए दिशा और प्रेरणा है। मुझे जो सम्मान प्राप्त हुआ है, वह वास्तव में उस विचारधारा का सम्मान है जिसे हम 'राष्ट्र सृजन' के माध्यम से समाज में स्थापित कर रहे हैं।”
कार्यक्रम में देशभर से पधारे विद्वान, शिक्षाविद, साहित्यकार, समाजसेवी, युवा प्रतिनिधि और सांस्कृतिक क्षेत्र के विशिष्ट जनों ने सहभागिता की। इस आयोजन ने न केवल अटल जी की स्मृति को सजीव किया, बल्कि उनके विचारों को वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों तक पहुँचाने का माध्यम भी बना।
काव्य प्रस्तुति की विशेष झलक:
कार्यक्रम की सांस्कृतिक प्रस्तुति में देश के ख्यातिप्राप्त कवियों ने अटल जी के व्यक्तित्व, विचार और राष्ट्रप्रेम को भावनात्मक एवं सृजनात्मक शैली में प्रस्तुत किया। प्रमुख प्रस्तुति देने वालों में शामिल थे:
पद्मश्री सुनील जोशी (हास्य कवि) गजेंद्र सिंह सोलंकी (वीर रस) अर्जुन सिसोदिया (वीर रस) सरिता मिश्रा (शृंगार रस) दीपक सैनी (हास्य रस)
इन कवियों की ओजस्वी रचनाओं ने मंच पर ऐसा वातावरण निर्मित किया, जिसमें अटल जी के विचार जीवंत हो उठे।
इस आयोजन ने यह सुदृढ़ संदेश दिया कि अटल जी की दूरदर्शिता, राष्ट्र प्रथम की भावना और ओजस्वी वाणी आज भी भारत निर्माण के मार्गदर्शक तत्व बने हुए हैं।
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